श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार » श्लोक 23 |
|
| | श्लोक 1.11.23  | সুন্দরানন্দ — নিত্যানন্দের শাখা, ভৃত্য মর্ম
যাঙ্র সঙ্গে নিত্যানন্দ করে ব্রজ-নর্ম | सुन्दरानन्द - नित्यानन्देर शाखा, भृत्य मर्म ।
याँर सङ्गे नित्यानन्द करे व्रज - नर्म ॥23॥ | | अनुवाद | सुन्दरानन्द, श्री नित्यानन्द प्रभु की एक और शाखा, उनके सबसे घनिष्ठ दास थे। उनके साथ रहते हुए नित्यानन्द प्रभु को व्रजभूमि की अनुभूति होती थी। | | |
| ✨ ai-generated | |
|
|