श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.11.22 
রঘুনাথ বৈদ্য উপাধ্যায মহাশয
যাঙ্হার দর্শনে কৃষ্ণ-প্রেম-ভক্তি হয
रघुनाथ वैद्य उपाध्याय महाशय ।
याँहार दर्शने कृष्ण - प्रेम - भक्ति हय ॥22॥
 
अनुवाद
रघुनाथ वैद्य, जिन्हें उपाध्याय के नाम से भी जाना जाता था, इतने महान भक्त थे कि उनके दर्शन से व्यक्ति का सुप्त भगवत्प्रेम जाग उठता था।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.