श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.11.19 
বাসুদেব গীতে করে প্রভুর বর্ণনে
কাষ্ঠ-পাষাণ দ্রবে যাহার শ্রবণে
वासुदेव गीते करे प्रभुर वर्णने ।
काष्ठ - पाषाण द्रवे याहार श्रवणे ॥19॥
 
अनुवाद
जब वासुदेव घोष कीर्तन में चैतन्य महाप्रभु और नित्यानंद प्रभु का वर्णन करते, तो उनकी मधुर वाणी को सुनकर लकड़ी और पत्थर भी पिघल जाते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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