श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 11: भगवान् नित्यानन्द के विस्तार  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  1.11.13 
শ্রী-রামদাস আর, গদাধর দাস
চৈতন্য-গোসাঞির ভক্ত রহে তাঙ্র পাশ
श्री रामदास आर, गदाधर दास ।
चैतन्य - गोसाञि र भक्त रहे ताँर पाश ॥13॥
 
अनुवाद
श्री रामदास जी और गदाधर दास जी, जो भगवान चैतन्य महाप्रभु के भक्त थे, हमेशा श्री वीरभद्र गोसाई जी के साथ ही रहते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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