श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 99
 
 
श्लोक  1.10.99 
সহস্র দণ্ডবত্ করে, লয লক্ষ নাম
দুই সহস্র বৈষ্ণবেরে নিত্য পরণাম
सहस्त्र दण्डवत्करे, लय लक्ष नाम ।
दुइ सहस्र वैष्णवेरे नित्य परणाम ॥99॥
 
अनुवाद
वह प्रतिदिन भगवान को एक हज़ार बार नमन करते थे, भगवान के एक लाख नामों का जाप करते थे और दो हज़ार वैष्णवों को प्रणाम करते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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