श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 92
 
 
श्लोक  1.10.92 
প্রভু সমর্পিল তাঙ্রে স্বরূপের হাতে
প্রভুর গুপ্ত-সেবা কৈল স্বরূপের সাথে
प्रभु समर्पिल ताँरे स्वरूपेर हाते ।
प्रभुर गुप्त - सेवा कैल स्वरूपेर सा थे ॥92॥
 
अनुवाद
जब रघुनाथ दास गोस्वामी जगन्नाथ पुरी में श्री चैतन्य महाप्रभु के समक्ष उपस्थित हुए तो महाप्रभु ने उन्हें अपने सचिव स्वरूप दामोदर को सौंप दिया। इस तरह वे दोनों मिलकर महाप्रभु की गोपनीय सेवा करने लगे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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