श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 89
 
 
श्लोक  1.10.89 
পশ্চিমের লোক সব মূঢ অনাচার
তাহাঙ্ প্রচারিল দোঙ্হে ভক্তি-সদাচার
पश्चिमेर लोक सब मूढ़ अनाचार ।
ताहाँ प्रचारिल दोंहे भक्ति - सदाचार ॥89॥
 
अनुवाद
भारत के पश्चिमी भाग के लोग न तो बुद्धिमान थे और न ही शिष्ट, लेकिन श्रील रूप गोस्वामी और सनातन गोस्वामी के प्रभाव से वे भक्ति और अच्छे व्यवहार में प्रशिक्षित हो सके।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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