श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 85
 
 
श्लोक  1.10.85 
তাঙ্র মধ্যে রূপ-সনাতন — বড শাখা
অনুপম, জীব, রাজেন্দ্রাদি উপশাখা
ताँर मध्ये रूप - सनातन - बड़ शाखा ।
अनुपम, जीव, राजेन्द्रादि उपशाखा ॥85॥
 
अनुवाद
इन शाखाओं में, रूप और सनातन मुख्य थे। अनुपम, जीव गोस्वामी और राजेन्द्र आदि उनकी उपशाखाएँ थीं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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