श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 82
 
 
श्लोक  1.10.82 
প্রভু কহে, কুলীনগ্রামের যে হয কুক্কুর
সেই মোর প্রিয, অন্য জন রহু দূর
प्रभु कहे, कुलीनग्रामेर ये हय कुकुर ।
सेइ मोर प्रिय, अन्य जन रहु दूर ॥82॥
 
अनुवाद
भगवान ने कहा, “सभी को जाने दो, कुलिन ग्राम का कुत्ता भी मेरा प्रिय मित्र है।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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