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श्लोक 81
श्लोक
1.10.81
বাণীনাথ বসু আদি যত গ্রামী জন
সবেই চৈতন্য-ভৃত্য, — চৈতন্য-প্রাণধন
वाणीनाथ वसु आदि यत ग्रामी जन ।
सबेइ चैतन्य - भृत्य, - चैतन्य - प्राणधन ॥81॥
अनुवाद
कुलीन ग्राम के सभी निवासी, जिनका नेतृत्व वाणीनाथ वसु कर रहे थे, भगवान चैतन्य के सेवक थे और भगवान चैतन्य ही उनके एकमात्र प्राण और धन थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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