श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 76
 
 
श्लोक  1.10.76 
গোপীনাথ সিṁহ — এক চৈতন্যের দাস
অক্রূর বলি’ প্রভু যাঙ্রে কৈলা পরিহাস
गोपीनाथ सिंह - एक चैतन्येर दास ।
अकूर बलि’ प्रभु याँरे कैला परिहास ॥76॥
 
अनुवाद
वृक्ष की 38वीं शाखा, गोपीनाथ सिंह, भगवान चैतन्य महाप्रभु के आज्ञाकारी सेवक थे। महाप्रभु हँसी-मज़ाक में उन्हें अक्रूर कहकर बुलाते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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