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श्लोक 71
श्लोक
1.10.71
এই দুই-ঘরে প্রভু একাদশী দিনে
বিষ্ণুর নৈবেদ্য মাগি’ খাইল আপনে
एइ दुइ - घरे प्रभु एकादशी दिने ।
विष्णुर नैवेद्य मागि’ खाइल आपने ॥71॥
अनुवाद
एकदशी के दिन श्री चैतन्य महाप्रभु ने इन दोनों के घरों से भिक्षा माँगी और उसे स्वयं खाया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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