श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 62
 
 
श्लोक  1.10.62 
চৈতন্য-দাস, রামদাস, আর কর্ণপূর
তিন পুত্র শিবানন্দের প্রভুর ভক্ত-শূর
चैतन्य - दास, रामदास, आर कर्णपूर ।
तिन पुत्र शिवानन्देर प्रभुर भक्त - शूर ॥62॥
 
अनुवाद
शिवानंद सेन के तीनों पुत्र, चैतन्यदास, रामदास और कर्णपूर, भगवान चैतन्य के वीर भक्त थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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