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श्लोक 60
श्लोक
1.10.60
আস্বাদিল এ সব রস সেন শিবানন্দ
বিস্তারি’ কহিব আগে এসব আনন্দ
आस्वादिल ए सब रस सेन शिवानन्द ।
विस्ता रि’ कहिब आगे एसब आनन्द ॥60॥
अनुवाद
श्रील शिवानंद सेन को साक्षात्, आवेश और आविर्भाव तीनों ही अवस्थाओं का अनुभव था। इस दिव्य आनंदमय विषय का विस्तृत वर्णन मैं बाद में स्पष्ट रूप से करूँगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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