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श्लोक 57
श्लोक
1.10.57
‘সাক্ষাতে’ সকল ভক্ত দেখে নির্বিশেষ
নকুল ব্রহ্মচারি-দেহে প্রভুর ‘আবেশ’
‘साक्षाते’ सकल भक्त देखे निर्विशेष ।
नकुल ब्रह्मचारि - देहे प्रभुर ‘आवेश’ ॥57॥
अनुवाद
प्रत्येक भक्त की उपस्थिति में भगवान श्री चैतन्य महाप्रभु का प्रकट होना साक्षात् कहलाता है। नकुल ब्रह्मचारी में विशेष सामर्थ के लक्षण रूप में उनका प्राकट्य, आवेश का उदाहरण है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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