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श्लोक 55
श्लोक
1.10.55
প্রতিবর্ষে প্রভু-গণ সঙ্গেতে লা-ইযা
নীলাচলে চলেন পথে পালন করিযা
प्रतिवर्षे प्रभु - गण सङ्गेते लाइया ।
नीलाचले चलेन पथे पालन करिया ॥55॥
अनुवाद
वे हर साल बंगाल से भक्तों के एक समूह को भगवान चैतन्य का दर्शन करने के लिए जगन्नाथ पुरी ले जाते थे। यात्रा के दौरान वे पूरी टोली का भरण-पोषण करते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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