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श्लोक 51
श्लोक
1.10.51
চিকিত্সা করেন যারে হ-ইযা সদয
দেহ-রোগ ভাব-রোগ, — দুই তার ক্ষয
चिकित्सा करेन यारे हइया सदय ।
देह - रोग भाव - रोग, - दुइ तार क्षय ॥51॥
अनुवाद
जब मुरारि गुप्त अपने रोगियों का उपचार करते थे, तो उनकी कृपा से रोगियों के शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के रोग दूर हो जाते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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