श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  1.10.43 
হরিদাস-ঠাকুর শাখার অদ্ভুত চরিত
তিন লক্ষ নাম তেঙ্হো লযেন অপতিত
हरिदास - ठाकुर शाखार अद्भुत चरित ।
तिन लक्ष नाम तेंहो लयेन अपतित ॥43॥
 
अनुवाद
चैतन्य वृक्ष की बीसवीं शाखा हरिदास ठाकुर थे। उनका चरित्र बड़ा ही अद्भुत था। वे प्रत्येक दिन बिना किसी विघ्न के 3 लाख बार कृष्ण - नाम का जाप करते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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