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श्लोक 36
श्लोक
1.10.36
নারাযণ-পণ্ডিত এক বড-ই উদার
চৈতন্য-চরণ বিনু নাহি জানে আর
नारायण - पण्डित एक बड़ई उदार ।
चैतन्य - चरण विनु नाहि जाने आर ॥36॥
अनुवाद
चौदहवीं शाखा के महान् और उदार भक्त नारायण पण्डित के लिए प्रभु चैतन्य के चरणों के अलावा और कोई आश्रय नहीं था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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