দণ্ড-কথা কহিব আগে বিস্তার করিযা
দণ্ডে তুষ্ট প্রভু তাঙ্রে পাঠাইলা নদীযা
दण्ड - कथा कहिब आगे विस्तार करिया ।
दण्डे तुष्ट प्रभु ताँरे पाठाइला नदीया ॥32॥
अनुवाद
चैतन्य - चरितामृत में बाद में मैं इस दण्ड - वृत्तान्त का वर्णन विस्तार से करूँगा। प्रभु इस दण्ड से बहुत संतुष्ट हुए, और दामोदर पण्डित को नवद्वीप भेज दिया।