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श्लोक 29
श्लोक
1.10.29
প্রভুর অত্যন্ত প্রিয — পণ্ডিত গঙ্গাদাস
যাঙ্হার স্মরণে হয সর্ব-বন্ধ-নাশ
प्रभुर अत्यन्त प्रिय - पण्डित गङ्गादास ।
याँहार स्मरणे हय सर्व - बन्ध - नाश ॥29॥
अनुवाद
पण्डित गंगादास श्री चैतन्य वृक्ष की आठवीं प्यारी डाल थे। जो भी उनकी लीलाओं का स्मरण करके उनकी उपासना करते हैं, वे सभी बंधनों से मुक्त हो जाते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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