श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  1.10.23 
দুই-জনে খট্মটি লাগায কোন্দল
তাঙ্র প্রীত্যের কথা আগে কহিব সকল
दुइ - जने खमटि लागाय कोन्दल ।
ताँर प्रीत्येर कथा आगे कहिब सकल ॥23॥
 
अनुवाद
कभी-कभी वे छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते हुए भी दिखते थे। पर ये झगड़े उनके प्यार के कारण ही होते थे, जिसके बारे में मैं आगे बात करूँगा।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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