श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  1.10.22 
প্রীত্যে করিতে চাহে প্রভুর লালন-পালন
বৈরাগ্য-লোক-ভযে প্রভু না মানে কখন
प्रीत्ये करिते चाहे प्रभुर लालन - पालन ।
वैराग्य - लोक - भये प्रभु ना माने कखन ॥22॥
 
अनुवाद
जगदानन्द पण्डित (सत्यभामा के अवतार रूप में) हमेशा भगवान चैतन्य के आराम और सुविधाओं का ख्याल रखते थे, लेकिन क्योंकि भगवान एक संन्यासी थे, इसलिए उन्होंने जगदानन्द पण्डित द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं को स्वीकार नहीं किया।
 
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.