श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  1.10.19 
“দশ-সহস্র গন্ধর্ব মোরে দেহ’ চন্দ্রমুখ
তারা গায, মুঞি নাচোঙ্ — তবে মোর সুখ”
“दश - सहस्र गन्धर्व मोरे दे ह’ चन्द्रमुख ।
तारा गाय, मुञि नाचों - तबे मोर सुख” ॥19॥
 
अनुवाद
“हे चंद्रमुखी! कृपया मुझे दस हज़ार गंधर्व प्रदान करें। जब मैं नाचूँगी और वे गाएंगे, तभी मैं अत्यंत प्रसन्न होूँगी।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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