वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 1: आदि लीला
»
अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ
»
श्लोक 19
श्लोक
1.10.19
“দশ-সহস্র গন্ধর্ব মোরে দেহ’ চন্দ্রমুখ
তারা গায, মুঞি নাচোঙ্ — তবে মোর সুখ”
“दश - सहस्र गन्धर्व मोरे दे ह’ चन्द्रमुख ।
तारा गाय, मुञि नाचों - तबे मोर सुख” ॥19॥
अनुवाद
“हे चंद्रमुखी! कृपया मुझे दस हज़ार गंधर्व प्रदान करें। जब मैं नाचूँगी और वे गाएंगे, तभी मैं अत्यंत प्रसन्न होूँगी।”
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.