श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 151
 
 
श्लोक  1.10.151 
নির্লোম গঙ্গাদাস, আর বিষ্ণুদাস
এই সবের প্রভু-সঙ্গে নীলাচলে বাস
निर्लोम गङ्गादास, आर विष्णुदास ।
एइ सबेर प्रभु - सङ्गे नीलाचले वास ॥151॥
 
अनुवाद
निर्लोम गंगादास और विष्णुदास जगन्नाथ पुरी में श्री चैतन्य महाप्रभु के सेवक भक्तों में से छत्तीसवें और सैंतीसवें थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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