श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ » श्लोक 148 |
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| | श्लोक 1.10.148  | রামভদ্রাচার্য, আর ওঢ্র সিṁহেশ্বর
তপন আচার্য, আর রঘু, নীলাম্বর | रामभद्राचार्य, आर ओढ़ सिंहेश्वर ।
तपन आचार्य, आर रघु, नीलाम्बर ॥148॥ | | अनुवाद | जगन्नाथ पुरी में चैतन्य महाप्रभु के साथ रहने वाले भक्तों में रामभद्राचार्य छब्बीसवें, सिंहेश्वर सत्ताइसवें, तपन आचार्य अठ्ठाइसवें, रघुनाथ भट्टाचार्य उन्तीसवें तथा नीलाम्बर तीसवें थे। | | |
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