श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 146
 
 
श्लोक  1.10.146 
বলভদ্র ভট্টাচার্য — ভক্তি অধিকারী
মথুরা-গমনে প্রভুর যেঙ্হো ব্রহ্মচারী
बलभद्र भट्टाचार्य - भक्ति अधिकारी ।
मथुरा - गमने प्रभुर येंहो ब्रह्मचारी ॥146॥
 
अनुवाद
बलभद्र भट्टाचार्य, तेईसवें प्रमुख सहायक, जो एक सच्चे भक्त थे, उन्होंने श्री चैतन्य महाप्रभु के मथुरा दौरे के समय उनके ब्रह्मचारी का कार्य किया था।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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