श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  1.10.14 
পুণ্ডরীক বিদ্যানিধি — বড-শাখা জানি
যাঙ্র নাম লঞা প্রভু কান্দিলা আপনি
पुण्डरीक विद्यानिधि - बड़ - शाखा जानि ।
याँर नाम लञा प्रभु कान्दिला आपनि ॥14॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु से तीसरी बड़ी शाखा पुण्डरीक विद्यानिधि थे, उनकी स्नेह भावना ऐसी थी कि कभी-कभार उनकी अनुपस्थिति में स्वयं महाप्रभु उनके लिए व्याकुल हो रो देते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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