श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 134
 
 
श्लोक  1.10.134 
এই পঞ্চ পুত্র তোমার মোর প্রিযপাত্র
রামানন্দ সহ মোর দেহ-ভেদ মাত্র
एइ पञ्च पुत्र तोमार मोर प्रियपात्र ।
रामानन्द सह मोर देह - भेद मात्र ॥134॥
 
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु ने भवानन्द राय से कहा, “तुम्हारे पाँचों बेटे मेरे प्रिय भक्त हैं। मैं और रामानन्द राय एक हैं, यद्यपि हमारे शरीर अलग हैं।”
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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