श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 130
 
 
श्लोक  1.10.130 
বড-শাখা এক, — সার্বভৌম ভট্টাচার্য
তাঙ্র ভগ্নী-পতি শ্রী-গোপীনাথাচার্য
बड़ - शाखा एक , - सार्वभौम भट्टाचार्य ।
ताँर भग्नी - पति श्री - गोपीनाथाचार्य ॥130॥
 
अनुवाद
महाप्रभु रूपी वृक्ष की सबसे बड़ी शाखाओं में एक, सार्वभौम भट्टाचार्य और उनकी बहन के पति, श्री गोपीनाथाचार्य जी थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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