श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 128
 
 
श्लोक  1.10.128 
আর যত ভক্ত-গণ গৌড-দেশ-বাসী
প্রত্যব্দে প্রভুরে দেখে নীলাচলে আসি’
आर यत भक्त - गण गौड़ - देश - वासी ।
प्रत्यब्दे प्रभुरे देखे नीलाचले आसि’ ॥128॥
 
अनुवाद
बंगाल प्रांत में निवास करने वाले समस्त भक्तगण प्रतिवर्ष भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने जगन्नाथ पुरी धाम जाया करते थे।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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