वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 1: आदि लीला
»
अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ
»
श्लोक 123
श्लोक
1.10.123
কেবল নীলাচলে প্রভুর যে যে ভক্ত-গণ
সঙ্ক্ষেপে করিযে কিছু সে সব কথন
केवल नीलाचले प्रभुर ये ये भक्त - गण ।
सङ्क्षेपे करिये किछु से सब कथन ॥123॥
अनुवाद
मैं श्री चैतन्य महाप्रभु के जगन्नाथ पुरी के कुछ भक्तों के बारे में थोड़ा सा वर्णन करूँगा।
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.