নীলাচলে এই সব ভক্ত প্রভু-সঙ্গে
দুই স্থানে প্রভু-সেবা কৈল নানা-রঙ্গে
नीलाचले एइ सब भक्त प्रभु - सङ्गे ।
दुइ स्थाने प्रभु - सेवा कैल नाना - रङ्गे ॥122॥
अनुवाद
मैंने इन सारे भक्तों का खास तौर पर उल्लेख इसलिए किया है कि ये सब भगवान चैतन्य महाप्रभु के साथ बंगाल और उड़ीसा में भी रहे और उन्होंने तरह-तरह से उनकी सेवाएं कीं।