श्री चैतन्य चरितामृत » लीला 1: आदि लीला » अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ » श्लोक 112 |
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| | श्लोक 1.10.112  | পুরুষোত্তম, শ্রী-গালীম, জগন্নাথ-দাস
শ্রী-চন্দ্রশেখর বৈদ্য, দ্বিজ হরিদাস | पुरुषोत्तम, श्री - गालीम, जगन्नाथ - दास ।
श्री चन्द्रशेखर वैद्य, द्विज हरिदास ॥112॥ | | अनुवाद | मूल वृक्ष की अड़सठवीं शाखा श्री पुरुषोत्तम जी थे, उनकें बाद उन्नीसवीं शाखा श्री गालीम जी थे, सत्तरवीं शाखा जगन्नाथ दास जी थे, इकहत्तरवीं शाखा श्री चंद्रशेखर वैद्य जी थे और बहत्तरवीं शाखा द्विज हरिदास जी थे। | | |
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