वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 1: आदि लीला
»
अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ
»
श्लोक 106
श्लोक
1.10.106
শঙ্করারণ্য — আচার্য-বৃক্ষের এক শাখা
মুকুন্দ, কাশীনাথ, রুদ্র — উপশাখা লেখা
शङ्करारण्य - आचार्य - वृक्षेर एक शाखा ।
मुकुन्द, काशीनाथ, रुद्र - उपशाखा लेखा ॥106॥
अनुवाद
आचार्य शंकरारण्य मूल वृक्ष की अड़तालीसवीं शाखा मानी जाती हैं। उनसे मुकुन्द, काशीनाथ और रुद्र नाम की उपशाखाएँ निकलीं।
✨ ai-generated
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.