श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 1: आदि लीला  »  अध्याय 10: चैतन्य-वृक्ष के स्कन्ध, शाखाएँ तथा उपशाखाएँ  »  श्लोक 106
 
 
श्लोक  1.10.106 
শঙ্করারণ্য — আচার্য-বৃক্ষের এক শাখা
মুকুন্দ, কাশীনাথ, রুদ্র — উপশাখা লেখা
शङ्करारण्य - आचार्य - वृक्षेर एक शाखा ।
मुकुन्द, काशीनाथ, रुद्र - उपशाखा लेखा ॥106॥
 
अनुवाद
आचार्य शंकरारण्य मूल वृक्ष की अड़तालीसवीं शाखा मानी जाती हैं। उनसे मुकुन्द, काशीनाथ और रुद्र नाम की उपशाखाएँ निकलीं।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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